भारतीय वायु सेना दिवस : नभः स्पृशं दीप्तम

8 अक्टूबर 1932 को स्थापित इस सेना को द्वितीय विश्व युद्ध में प्रशंसनीय योगदान के लिए ‘रॉयल इंडियन एयर फोर्स’ का टाइटल दिया गया. गणतंत्र बनने पर ‘रॉयल’ शब्द हटा दिया गया.

आज़ादी के बाद 1962 , 1965 , 1971 और 1999 के कारगिल संघर्ष में हवाई सेना ने अद्भुत प्रदर्शन किया है. भारतीय वायु सेना में पाँच कमानें हैं जिनके मुख्यालय दिल्ली, इलाहाबाद, शिलांग, जोधपुर और तिरुवनंतपुरम में है.

20 हेलिकॉप्टर यूनिट्स, 45 स्थायी-विंग स्क्वॉड्रन और भूमि से हवा में मार करने इकाइयों सहित 1,700 वायुयानों की देखभाल के लिए 1,20,000 महिला-पुरुष कर्मी इस सेना में काम करते हैं.

वायु सेना के प्रमुख को एयर चीफ़ मार्शल कहते हैं. इस सेना ने ऑपरेशन ‘मेघदूत’ सियाचिन ग्लेशियर पर नियंत्रण हासिल करने के लिए, ‘आपरेशन पवन’ श्रीलंका में भारतीय शांति सेना अभियान के तहत और ‘ऑपरेशन कैक्टस’ मालदीव को बचाने के लिए किया था.

इसके अलावा 1993-1994 में सोमालिया में संयुक्त राष्ट्र सेना का हिस्सा बनकर शांति बहाल करने का काम भी वायु सेना द्वारा किया गया. प्राकृतिक आपदाओं में नागरिक प्रशासन की सहायता के अलावा कई वायु सेना के अस्पताल भी जनता की सेवा में हैं.

एक ओर हैदराबाद स्थित एयर फ़ोर्स अकैडमी में भावी वायु सेना अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया जाता है तो दूसरी ओर बंगलोर के एयर फ़ोर्स ट्रेनिंग कॉलेज में अधिकारियों व सैनिकों को तकनीकी प्रशिक्षण दिया जाता है.

भारतीय वायु सेना का गौरव इसके motto की तरह ही नभ तक दीप्त हो रहा है.

वायु सेना दिवस पर इस बल में कार्यरत सभी कर्मियों को एक जोरदार सलाम!

डॉ. एस के सिंह

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