सफलतापूर्वक लॉन्च हुआ ISRO का GSAT18, पीएम ने कहा ‘मील का पत्थर’

बेंगलूरू. भारत के नवीनतम संचार उपग्रह जीसैट-18 (GSAT-18) का गुरुवार तड़के फ्रेंच गुयाना के कॉरू से प्रक्षेपण कर दिया गया और यह प्रक्षेपण सफल रहा.

इससे पहले खराब मौसम के कारण बुधवार को इसे 24 घंटे के लिए टाल दिया गया था. कॉरू दक्षिणी अमेरिका के पूर्वोत्तर तट स्थित एक फ्रांसीसी क्षेत्र है.

बुधवार तड़के मौसम खराब होने के कारण टला लॉन्च गुरुवार को मौसम सही होने के कारण यूरोपीय एरियन-5 वीए-231 रॉकेट के जरिए तड़के करीब 2 बजे लॉन्च किया गया. लॉन्च के बाद बेंगलुरु स्थित इसरो मुख्यालय ने मिशन की सफलता की घोषणा की.

जीसैट-18 इसरो का 20वां उपग्रह है, जिसे यूरोपीय स्पेस एजेंसी ने लॉन्च किया है. एरियन स्पेस लॉन्चर परिवार का यह कुल मिलाकर 280वां लॉन्च था.

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जीसैट-18 के सफल प्रक्षेपण को देश के अंतरिक्ष कार्यक्रम का एक और ‘मील का पत्थर’ बताते हुए इसरो के वैज्ञानिकों को बधाई दी.

pm-tweet-gsat18इसरो अपने भारी-भरकम सेटेलाइटों को लॉन्च करने के लिए एरियन-5 रॉकेट पर निर्भर रहा है. हालांकि भारतीय स्पेस एजेंसी अब इसके लिए जीएसएलवी एमके-3 बना रहा है. 3404 किलो के जीसेट-18 में 48 संचार ट्रांस्पोंडर हैं.

उल्‍लेखनीय है कि पहले इसे बुधवार रात दो बजे से सवा तीन बजे के बीच प्रक्षेपण किया जाना था, लेकिन खराब मौसम के चलते इसे एक दिन के लिए टाल दिया गया था.

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (इसरो) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया था कि तेज हवाएं चलने के कारण प्रक्षेपण को एक दिन के लिए टाल दिया गया.’ उन्होंने यह भी बताया था कि अब यह प्रक्षेपण छह अक्टूबर को भारतीय समयानुसार तड़के दो बजे होगा.

प्रक्षेपण के समय 3,404 किलोग्राम वजन रखने वाला जीसैट-18 नॉर्मल सी बैंड, अपर एक्सटेंडेड सी बैंड और केयू बैंडों में सेवा प्रदान करने के लिए 48 संचार ट्रांसपोंडर लेकर गया है.

इन बैंडों में परिचालित उपग्रहों पर सेवा निरंतरता उपलब्ध कराने के लिए डिजाइन किया गया जीसैट-18 उपग्रह करीब 15 साल के सेवा मिशन पर गया है.

उपग्रह के सफल प्रक्षेपण की घोषणा करते हुए एरियन स्पेस के मुख्य कार्यकारी अधिकारी स्टीफन इस्राइल ने ट्वीट किया, हमें इसरो के साथ अपने मजूबत संबंधों पर गर्व है. आज रात 20वां उपग्रह भेजा. भारत की अंतरिक्ष एजेंसी के लिए प्रक्षेपित. बधाई.

इसरो अध्यक्ष ए एस किरण कुमार ने अपने संदेश में कहा, मैं एरियन-5 वीए-231 की गौरवशाली और त्रुटिरहित उड़ान को देखकर प्रसन्न हूं जो जीसैट 18 और स्काईमस्टर 2 को सफलतापूर्वक ले गया. पूर्व के सभी अवसरों की तरह एरियन स्पेस ने हमें एक शानदार उड़ान उपलब्ध कराई.

जीटीओ में जीसैट18 के प्रक्षेपण के साथ ही कर्नाटक के हासन में स्थित इसरो के प्रमुख नियंत्रण केंद्र (एमसीएफ) ने उपग्रह का नियंत्रण अपने हाथों में ले लिया और यह केंद्र उपग्रह की लिक्विड एपोजी मोटर (एलएएम) के जरिए इसे वृत्ताकार भूस्थतिक कक्षा में स्थापित कर इसकी कक्षा बदलने का काम करेगा.

इसरो ने कहा कि इसके बाद, सौर पैनल और एंटीना जैसे उपकरणों की तैनाती तथा उपग्रह का त्रि-अक्ष स्थिरीकरण करने का कार्य किया जाएगा. जीसैट18 को 74 डिग्री पूर्वी देशांतर में तथा अन्य परिचालित उपग्रहों के साथ सह स्थापित किया जाएगा.

जीसैट18 का सह यात्री स्काई मस्टर2 खास तौर पर ऑस्ट्रेलिया के ग्रामीण तथा दूरस्थ क्षेत्रों में डिजिटल अंतराल को पाटने के लिए है. इसका निर्माण पालो आल्टो, कैलिफोर्निया सहित एसएसएल (स्पेस सिस्टम्स लोराल) ने किया है.

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा निर्मित जीसैट- 18 इसरो के 14 संचालित उपग्रहों के बेड़े को मजबूत कर भारत के लिए दूरसंचार सेवाएं प्रदान करेगा.

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