… उसके बाद वही होगा, जो भारत चाहेगा

ओबामा अमेरिकन जनता से कहते हैं कि भारतीय बच्चों को देखो ,वो लोग प्रत्येक जगह बाजी मार लेते हैं. उनसे प्रतियोगिता करो.

खुद भारत की क्षमता को भूल जाते हैं.

कुछ साल और अमेरिका, चीन आदि अपनी नौटँकी दिखा लें,उसके बाद वही होगा जो भारत चाहेगा.

इन लोगों को अभी तक समझ नहीं आ रहा है कि भारत बदल रहा है.

हम अब गुलामों की मानसिकता से बाहर आ रहे हैं, विदेशी मोह भी कम हो रहा है.

MNC की जगह स्वदेशी पतंजलि ज्यादा पसंद आ रहा है. प्रारंभ हो गया है अब अंत की प्रतीक्षा करें.

71 वर्ष का बूढ़ा संयुक्त राष्ट्र ज्यादा दिनों तक चल पाएगा ऐसे लक्षण नहीं दिख रहे हैं.

वर्ल्ड बैंक में भारत अपनी भागीदारी बढ़ाने के लिए तैयारी है.

भारत को अपनी शक्ति का एहसास होने लगा है… समझ में आ गया है कि भेड़ों के साथ रहता है पर वो भेड़ नहीं है.

विश्व में भारत की पहुँच और स्वीकारता बढ़ रही है. दूसरे देश देख रहे हैं कि भारत में नेतृत्व की क्षमता भी है, सहायता करने का गुण भी है और शक्ति भी है.

अमेरिका अब ढलान की तरफ बढ़ रहा है.

एक समय था जब अमेरिका नए नए शोध और आविष्कार के बल पर संसार को आश्चर्यचकित करता था और उनके कारण ही सम्मान और पैसा पाता था.

आज के समय में उससे ज्यादा उन्नत तकनीक बहुत से देश के पास है. अब अमेरिका केवल हथियारों का विक्रेता मात्र रह गया है.

तालिबान और आई एस आई एस के जन्म में भी अमेरिका का सहयोग रहा है, यह बात भी किसी से छुपी हुई नहीं रही.

रूस को साधने के लिए तालिबान को खड़ा किया, पर कहते हैं कि जो दूसरों के लिए गड्ढा खोदता है वो खुद भी उसमें गिरता है. 9/11 झेलना पड़ा.

भारत को आगे नहीं बढ़ने देने के लिए पाकिस्तान का पोषण करना भी कभी न कभी अमेरिका को महंगा पड़ेगा ही, इसमें कोई संदेह नहीं है.

आज चीन, अमेरिका आदि देश यदि भारत का साथ नहीं दें तब भी चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है.

विश्वास रखिए, आने वाला समय हमारा है. अपने दिन आएँगे तब हम इन सबको बताएँगे.

अब कल-परसों या एक-दो वर्षों में मत पूछने लगना कि अपने दिन क्यों नहीं आए. धैर्य और विश्वास की पूँजी का लॉन्ग टर्म निवेश करिए.

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