कुछ दिन पहले अमिश की ‘नागाओं का रहस्य’, ‘वायुपुत्रों की शपथ’ और ‘इक्ष्वाकु के वंशज’ पढ़ने के बाद एक विस्मृत हुआ विषय फिर मस्तिष्क में बिजली की तरह कौंध गया.
परमाणु शक्ति का प्रयोग और वो भी प्राचीन काल में. अमिश ने अपनी किताबों में ‘पशुपतिनाथ अस्त्र’ और ‘असुर अस्त्र’ का जिक्र किया है. जाहिर है कि अमिश की जानकारी का स्त्रोत महाभारत और सिंधु घाटी की सभ्यता का इतिहास है.
हालांकि अमिश किसी भी तरह के ‘सेक्युलर विवाद’ से बचने के लिए लिख देते हैं कि उनकी किताब पूरी तरह काल्पनिक है लेकिन दुनिया में लाखों लोग ऐसे हैं जो जानते हैं कि अमिश की कल्पना में लगभग असली तथ्यों का समावेश किया गया है.
हम ये जानने की कोशिश करना चाहिए कि महादेव, सिंधुघाटी की सभ्यता, फल्कानेली, हिरोशिमा का आपसी कनेक्शन क्या हो सकता है. ओशो ने भी इस रहस्य्मयी इंसान ‘फल्कानेली’ का जिक्र कई बार किया है. तो आज जानते हैं ‘फल्कानेली’ के बारे में.
ये सन 1924 है
जर्मनी में अणु विज्ञानं की खोज के लिए वैज्ञानिक दिनरात लगे हुए हैं. इसी साल जर्मनी में अणु विज्ञान में शोध के लिए एक संस्थान बनाया जाता है.
इस संस्थान के शुरू होने के अगले दिन ही एक असामान्य रूप से लम्बा अजनबी ओवरकोट पहने आता है और संस्थान के एक वैज्ञानिक को एक चिठ्ठी दे जाता है.
चिठ्ठी में लिखा है ‘मुझे अणु शक्ति के बारे में जानकारी है व कुछ और लोग इस बारे में जानते हैं. मैं चेतावनी देना चाहता हूँ कि ये खोज जितनी जल्दी हो सके बंद कर दो, ये बहुत खतरनाक खोज है. हमारी सभ्यता से पहले कई सभ्यताएं ऊर्जा व साम्राज्य विस्तार के लिए इसका प्रयोग कर नष्ट हो चुकी है.
इस खत के आखिरी में किसी ‘फल्कानेली’ नामक व्यक्ति के हस्ताक्षर थे. बाद में जर्मनी में इस व्यक्ति को बहुत खोजा गया लेकिन कोई नहीं जान पाया कि ओवरकोट पहने वो अत्यधिक लम्बा शख्स ही ‘फल्कानेली’ था या उसका कोई दूत. वैज्ञानिक इस सनकी की बातों पर ध्यान दिए बगैर अपना काम जारी रखते हैं.
ये सन 1940 है
जर्मनी में एक वैज्ञानिक वार्नर हैसिनबर्ग अणु की खोज में जुटा हुआ है. बस थोड़ा वक्त और है संसार की इस खोज के पूरा होने में.
एक दिन उसके घर के दरवाजे पर कोई दस्तक देता है. वार्नर दरवाजा खोलते हैं तो सामने एक बेहद लम्बा और असामान्य सा दिखने वाला शख्स खड़ा दिखाई देता है. व्यक्ति कुछ बोले बगैर एक खत उसे देता है और चला जाता है.
हैसिनबर्ग लिफाफा खोलकर खत पढ़ते हैं ‘तुम पापी होने का जिम्मा क्यों ले रहे हो. ये पहली सभ्यता नहीं है जो अणु के खेल में पड़ी है, कई सभ्यताए इसी खेल में विलुप्त हो गई”. इस बार फिर खत के आखिरी में लिखा था ‘फल्कानेली’.
ये सन 1945 है
अगस्त के महीने में जब हिरोशिमा पर एटम गिराया गया तो जो तबाही हुई उसे देखकर खुद अमेरिका भी हतप्रभ रह गया था. इसके बाद जिन वैज्ञानिकों ने परमाणु बम बनाने में ख़ास भूमिका निभाई थी, उन सभी को एक खत मिलता है.
इसमें लिखा है ‘ चेतावनी देने के बाद भी तुमने पहला विनाशकारी कदम उठा ही लिया लेकिन याद रखना आखिरी कदम ज्यादा दूर नहीं है. अभी भी रुक जाओ. इस खत के आखिरी में लिखा था ‘फल्कानेली’.
तो 1924 से लेकर 1945 तक एक असामान्य रूप से लम्बा व्यक्ति दुनिया के वैज्ञानिको को परमाणु के विनाश के बारे में चेताने के प्रयास करता है जबकि किसी को मालूम ही नहीं था कि परमाणु शक्ति के परिणाम क्या होंगे.
इस फल्कानेली को कैसे मालूम था. वो कैसे सुरक्षा में घिरे प्रमुख वैज्ञानिको तक पहुँच जाता था. एक अत्यंत रहस्यमयी शख्सियत जिसने दुनिया की बेहतरी के लिए प्रयास किये, हिरोशिमा को बचाने के प्रयास किये. पता नहीं कौन थी वो पुण्यात्मा. शायद उसकी चेतना ने ही दुनिया को परमाणु विध्वंस से बचा रखा हो.
(वैसे एक ‘फल्कानेली’ और है लेकिन उसका इससे कुछ वास्ता नहीं है. इस ‘फल्कानेली’ की कहानी फिर कभी. इसे द लास्ट अल्केमिस्ट कहा जाता था)
– विपुल रेगे