हम अक्सर बात करते हैं, भारत आतंक से वैसे क्यों नहीं निपट सकता जैसे इजराइल निपटता है? फिर ले दे कर बात इस पर आती है कि हम यहूदियों जैसे नहीं हैं.
पर यहूदी हमेशा ऐसे नहीं थे जैसे आज हैं. यहूदी 1500 सालों तक फिलिस्तीनियों से मार खाकर भागे रहे. अपना एक मुल्क नहीं था. यहूदी पूरी दुनिया में फैला रहा, उसे सिर्फ अपने पैसे कमाने से मतलब रहा. दुनिया की सबसे पढ़ी-लिखी और संपन्न कौम होने के बावजूद यहूदी पूरी दुनिया की घृणा और वितृष्णा का पात्र रहा. और यहूदी भी तब तक नहीं जागे जब तक उनका अस्तित्व खतरे में नहीं आ गया. हिटलर अकेला उन्हें नहीं मार रहा था, पूरा यूरोप उनके मार खाने पर खुश था.
इंग्लैंड की विदेश नीति में द्वितीय विश्व युद्ध तक यहूदियों के लिए कोई सहानुभूति नहीं थी. आपने अगर लॉरेंस ऑफ़ अरबिया फिल्म देखी हो तो याद होगा. पहले विश्वयुद्ध में अंग्रेजों और अरबों में बहुत याराना था. यह दूसरे विश्वयुद्ध तक चला, और जब दुनिया भर के यहूदी फिलिस्तीन में छुप कर सर्वाइव करने का प्रयास कर रहे थे तब भी सरकारी ब्रिटिश नीति अरबों के पक्ष में थी.
उस समय एक अँगरेज़ फौजी अफसर फिलिस्तीन में इंटेलिजेंस ऑफिसर बन कर आया. नाम था कैप्टेन ऑर्ड विनगेट. विनगेट एक अजीब सी, पर असाधारण शख्सियत था. वह एक इन्फेंट्री जीनियस था. व्यक्तिगत रूप से उसे यहूदियों से बहुत सहानुभूति थी. और सरकारी ब्रिटिश नीति के विरुद्ध जाकर उसने यहूदियों को एकत्र करना और उन्हें लड़ाई के लिए तैयार करना शुरू किया. ज़्वी ब्रेनर और मोशे दयान जैसे भविष्य के इसरायली मिलिट्री लीडर उसके शिष्य बने. विनगेट ने इस्राएलियों को उनकी यह आक्रामक नीति दी… उसके पहले इसरायली कैम्पों में बैठे रक्षात्मक मोर्चे लिए रहते थे. अरब गैंग आते और उनपर हमले करके चले जाते, इसरायली सिर्फ जरूरत भर रक्षात्मक कार्रवाई करते थे.
एक दिन विनगेट ने ज़्वी ब्रेनर से बात करते हुए पूछा – तुम्हें पता है, इन पहाड़ियों के पार जो अरब हैं, वे तुम्हारे खून के प्यासे हैं… एक दिन ये आएंगे और तुम्हारा अस्तित्व मिटा देंगे?
ब्रेनर ने कहा – वे यह आसानी से नहीं कर पाएंगे… हम बहादुरी से उनका मुकाबला करेंगे…
विनगेट ब्रेनर पर बरस पड़ा – तुम यहूदी भी ना, masochist (आत्मपीड़क) हो… तुम कहते हो – आओ, मुझे मारो… जब तक वह तुम्हारे भाई का क़त्ल नहीं कर दे, तुम्हारी बहन का रेप नहीं कर दे, तुम्हारे माँ-बाप को नाले में नहीं फेंक दे, तुम हाथ नहीं उठाओगे…
तुम लड़ कर जीत सकते हो, पर मैं तुम्हें सिखाऊंगा कि लड़ना कैसे है…
फिर विनगेट ने यहूदियों की टुकड़ियों का कई सैनिक अभियानों में नेतृत्व किया. वह अरब ठिकानों का पता लगाता, उन पर घात लगा कर हमला करता, उन्हें बेरहमी से मार डालता और कई बार अरबों की लाशें लॉरी में लादकर फिलिस्तीनी पुलिस स्टेशन के सामने फेंक आता…
विनगेट ने यहूदियों की मिलिट्री स्ट्रेटेजी ही नहीं, उनकी मानसिक अवस्था बदल दी. उन्हें रक्षात्मक से आक्रामक बनाया… इजराइल को मोशे दयान जैसे जनरल तैयार करके दिए… विनगेट अकेला एक ऐसा गैर-यहूदी है जिसकी मूर्ति इजराइल में लगाई गई है…
देश की मन:स्थिति भी नेता निर्धारित करता है. इसीलिए उसे नेता कहते हैं. एक नेता का अपना कॉन्फिडेंस पूरे देश को छूत की तरह लग जाता है. हम इजराइल जैसे नहीं हैं, हमसे नहीं होगा… यह बहाना काफी नहीं है. नेता को निर्धारित करना होता है कि हमें बनना कैसा है, फिर वह हमें नियत दिशा में लेकर चलता है… और भेड़ बना यहूदियों का झुण्ड इजराइल बन कर शेर की तरह रहना सीख लेता है… तो हम तो भरत वंशी हैं जिनका बचपन ही सिंह शावकों के साथ बीता था…