गांधी-नेहरू, न घर के रहे न घाट के : क्या ‘पंडित’ नेहरू ने की थी ‘हिन्दू राज’ की स्थापना?

सईद नक़वी की नई किताब आई है : “बीइंग द अदर : द मुस्ल‍िम्स इन इंडिया.” पढ़ने लायक़ चीज़. मध्य-पूर्व, फ़लस्तीन, शिया-सुन्नी संघर्ष, भारतीय मुस्लि‍मों विशेषकर अवध पट्टी वाले मुसलमान और अमेरिकी नीतियों के इस्लाम पर प्रभाव के बारे में सईद जितने अधि‍कार से कम ही लोग लिख पाते हैं. अलबत्ता चीज़ों को देखने का सईद का एक सुस्पष्ट मुस्ल‍िम पूर्वाग्रह है, जैसा कि बहुतेरे मुस्ल‍िम बुद्ध‍िजीवियों का होता है.

इसकी तुलना में हिंदू बुद्ध‍िजीवी अपनी हिंदू परंपरा के प्रति हमेशा हीनता के बोध से घिरे नज़र आते हैं. वे हमेशा “अपोलोजेटिक” नज़र आते हैं. मैं सईद को इसलिए भी ध्यान से पढ़ता हूं ताकि मुस्ल‍िम बुद्धि‍जीवियों के सोचने की प्रक्रिया को समझ सकूं.

सईद ने अपनी किताब में बड़े मज़े की बात कही है. एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र-राज्य की भारत की अवधारणा पर प्रहार करते हुए वे कहते हैं कि भारत को सेकुलर देश बताना एक फ़रेब है. वास्तव में भारत की रचना एक “हिंदू राष्ट्र” के रूप में ही की गई है. वे कहते हैं कि 47 में जब आप हिंदू राज बना रहे थे तो फिर धर्मनिरपेक्षता का ढकोसला क्यों?

यह सीधे कहना चाहिए था कि 800 साल मुसलमानों की हुकूमत हो गई, 200 साल अंग्रेजों ने राज कर लिया, पाकिस्तान बन ही रहा है, अब यह हिंदू राज होगा. जवाहरलाल नेहरू को “पंडित” कहे जाने को सईद नक़वी एक हिंदूवादी संबोधन मानते हैं. वे यह भी कहते हैं कि सरदार पटेल, राजेन्द्र प्रसाद, राजगोपालाचारी और गोविंद बल्लभ पंत गंगा-जमुनी तहज़ीब की मनोदशा वाले नहीं थे.

गांधी का भी झुकाव हिंदुत्व की ओर था. लालबहादुर शास्त्री ने 1965 की जंग में आरएसएस के गुरु गोलवलकर से अनुरोध किया था कि वे अपने स्वयंसेवकों को नागरिक सुरक्षा के काम में लगा दें. सबके दिमाग़ में यही था कि भारत में मुसलमान भी रहेंगे और बराबरी से रहेंगे, लेकिन मुल्क की कमान हिंदुओं के हाथ में ही होगी.

सईद नक़वी की ये बातें बहुत आश्चर्यजनक हैं. क्योंकि हिंदू राष्ट्रवादियों को गांधी और नेहरू और कांग्रेस की समूची संस्कृति से घृणा ही इसलिए है कि उन्हें लगता है कि उनकी “धर्मनिरपेक्षता” की नीति मुस्ल‍िमों के प्रति ज़रूरत से ज़्यादा झुकाव का परिणाम थी और “तुष्ट‍िकरण” का शब्द कांग्रेस की राजनीति से जुड़ा हुआ है. दूसरी तरफ़, सईद नक़वी जैसे मुस्ल‍िम बुद्ध‍िजीवी नेहरू की सेकुलर परंपरा पर ही सवाल खड़े कर रहे हैं.

सईद नक़वी ने यह भी कहा है कि भारत के हिंदुओं के दिमाग़ में यह रह गया है कि मुसलमानों ने अलग देश भी ले लिया और यहां भी रह गए. नक़वी से पूछा जाना चाहिए कि अगर भारत के हिंदू ऐसा सोचते हैं, तो इसमें ग़लत क्या है? पंजाब-सिंध की मुस्ल‍िम बहुल आबादी ने पाकिस्तान अलग ले लिया, बंगाल की मुस्ल‍िम बहुल आबादी ने पूर्वी पाकिस्तान अलग ले लिया, ये दोनों मुल्क मुस्ल‍िम राष्ट्र की तरह विकसित हुए.

इसके बावजूद भारत में “मुस्ल‍िम कॉन्फ्ल‍िक्ट” का अंत होने के कोई आसार नज़र नहीं आते. “ढाक के तीन पात” वाली स्थि‍ति है. सन् सैंतालीस जैसे हालात क़ायम है, जिससे सवाल उठता है कि आखिर भारत-विभाजन का तर्क क्या था और उससे हासिल क्या हुआ? कश्मीर आज भी सुलग रहा है. जहां-जहां मुस्ल‍िम बहुसंख्या है, वहां अलगाव के स्वर हैं. जहां मुस्लि‍म अल्पसंख्या में है, वहां राजनीतिक समीकरणों को वे प्रभावित कर रहे हैं.

भारत में होने वाले चुनावों का एक ही एजेंडा होता है कि मुस्ल‍िम किसको वोट देंगे और इसी के आधार पर पूरी राजनीति चलती है. पाकिस्तान और बांग्लादेश में तो कोई हिंदू आबादी वहां के राजनीतिक-सामरिक समीकरणों को गड़बड़ा नहीं रही है. इसके बावजूद भारतीय राष्ट्र पत्थर खा रहा है. दोनों हाथ में लड्डू किसके रहे?

मुस्ल‍िमों के लिए एक अलग राष्ट्र की मांग ही अपने मूल में घातक थी. हम अपना चौका-चूल्हा अलग करेंगे, अपना पाकिस्तान अलग बनाएंगे, इसी में यह अंतर्निहित था कि भारत हिंदुओं के हवाले होगा. नेहरू और गांधी मुस्ल‍िम लीग की मांगों के आगे झुके, देश का बंटवारा होने दिया, फिर भी धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र के रूप में भारत का निर्माण किया, जिसमें मुस्ल‍िमों के अमानवीय और असभ्य पर्सनल लॉ की रक्षा भी प्राणपण से की और आज सईद नक़वी जैसे बुद्ध‍िजीवी उठकर उन्हें हिंदू राज का निर्माता क़रार दे रहे हैं.

यह ठीक वही सन् सैंतालीस की मुस्ल‍िम लीग की मानसिकता है, जो तब भी यही कह रही थी कि हमें “बामण-बनिया राज” में नहीं रहना है.

सईद नक़वी की बातें सुनकर गांधी और नेहरू की आत्मा को आज कैसा महसूस हो रहा होगा? वे ना घर के रहे ना घाट के. माया मिली ना राम. भारतवासियों के मर्म पर सन् सैंतालीस के बाद से ही जो बीत रही है, इसका तो हिसाब ही क्या दें. सन् सैंतालीस में “गंगा-जमुनी तहज़ीब” की हत्या मुस्ल‍िम लीग और कांग्रेस ने आपसी सहमति के साथ कर दी थी!!

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