आज जलियाँवाला बाग की 98वीं वर्षगाँठ है. सैकडों निहत्थे आदमी – औरतों, बूढे -जवान और बच्चों को नृशंसता पूर्वक गोलियों से छलनी किया गया था. मिट्टी इन मासूमों के रक्त रंजित इसलिये हुई थी ताकि 97 साल बाद जब गँजा राजकुमार वापस भारत आये तो उसे इतनी जिव्हायें मिलें कि चटने को तलवे कम पड़ जायें.
गँजा राजकुमार और ब्लडी इण्डियन्स
पिछले साल एक रोज़ लुटेरों का राजकुमार वहाँ आया, जहाँ उसके बाप दादों और फुफेरे मामों ने बड़ी लूट खंसोट मचाई थी. राजकुमार गँजा था, मन में संशय था कि अगर लुटे पिटे लोग भड़क गये और टाँट पे जूते पड़े तो क्या होगा.
दादी अम्मा ने समझाया, बेटे हमने मालिक बन के लूटा है और वो आज भी हम जैसा दिखने के चक्कर में फेअर एण्ड लवली लगाते हैं, ये सुनना था कि राजकुमार की सारी चिंता काफूर हो गई – वह जानता था जब तक फेअर एण्ड लवली है, इस लूट पाट में किये गये उनके हर जुर्म भी फेअर एण्ड लवली ही माने जायेंगे.
टुम साला इण्डियन लोग हमारा जूटा के नीचे रहना माँगटा वाला बॉब क्रिस्टोआना अंदाज़ लिये युवराज यहाँ आये.
रेड कार्पेट पर चल रहे थे तो मखमली कार्पेट ज़रा गिलगिला सा लगा, पता लगा ये तो ज़बानों से बना रेड कार्पेट है. मतलब चटने के लिये तलवे कम पड़ जायें, इतनी जिव्हायें लपलपाती हुई युवराज के तलवों की ओर बढ़ी आ रही थी.
इस तमाम ब्लिट्ज़क्रीग के बीच एक पागल चिल्लाता हुआ घूम रहा था – अंग्रेज़ों को बाप बनाना छोड़ दो, उनकी ग़ुलामी खत्म हुये 70 साल होने को हैं – डॉग्स एण्ड इण्डियन नॉट अलाऊड वाले होटल अब तुमको अलाउड हैं अनलेस तुम डॉग टाईप के आदमी हो.
ये प्रिंस ऐसा कुछ तुर्रम खान भी नहीं, जिसके तलवे चाटने पर आपको लाट साहिब की उपाधि मिल जानी है. अल्टरनेटिवली अगर अपने बॉस के चाट लो (जिसमें आपने अब तक विशारद कर लिया होगा) तो शायद अगला अप्रेज़ल बेहतर हो जाये – चान्सेज़ हैं कि बॉस और प्रिंस शायद एक ही ब्राण्ड के सॉक्स पहनते हों, क्योंकि अपने यहाँ अब इम्पोर्टेड सॉक्स बिकने लगे हैं, स्वाद करीब वही रहेगा.
छोटी सी समझाईश है, इण्डियन बन जाओ काफी है, ब्लडी इण्डियन बनने के लिये काफी मूर्ख भरे पड़े हैं अपने यहाँ, जो वेस्टर्न टॉयलेट पे उकड़ू बैठ कर TOI बाँचते हैं और एक्सेण्ट में अँगरेजी पेलते हैं. हाँ मगर फिर भी खून में मौजूद ग़ुलामी के कीड़े तुम्हें वहाँ तक ले जायें तो गँजे राजकुमार से पूछना तेरी घाघ दादी हमारा कोहिनूर कब वापस कर रही है?
पागल साला राष्ट्रवादी था, सब उसपर हँसते रहे, गोरे मखमली रेड वेलवेट चीज़ केक जैसे तलवों का टेस्ट कौन मिस करे?