आज एक ऐसे व्यक्ति का जन्मदिन है जिसके बारे में सभी जानते हैं, प्रशंसा करते हैं लेकिन उसे समझना सबके बस की बात नहीं.
जी हाँ कैम्ब्रिज में भूतपूर्व Lucasian Chair Professor स्टीफेन हॉकिंग.
कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के Department of Applied Mathematics and Theoretical Physics (DAMTP) में ये पद कभी सर आइज़ैक न्यूटन ने सुशोभित किया था.
Amyotrophic Lateral Sclerosis जैसी बीमारी से ग्रसित होने के कारण वे सिर्फ हाथ की कुछ उंगलियों को ही हिला सकते हैं.
15 जनवरी 2001 को हॉकिंग ने भारत में लेक्चर दिया था. तब एक पत्रिका निकलती थी “Junior Science Refresher” जिसमें मैंने उनके बारे में पढ़ा था.
किसी ने उनसे पूछा था कि उन्होंने सैद्धांतिक भौतिकी का क्षेत्र ही क्यों चुना. इसके जवाब में उन्होंने कहा कि इस विद्या में सिर्फ गणित का प्रयोग होता है और चूंकि मेरा शरीर लगातार रोग से ग्रसित हो रहा था और विज्ञान के सिवा मैं और कुछ कर नहीं सकता इसलिए मैंने ऐसी चीज़ चुनी जिसमें सिर्फ दिमाग का इस्तेमाल हो.
ध्यातव्य है कि ALS बीमारी दिमाग पर असर नहीं डालती.
हॉकिंग की सबसे बड़ी उपलब्धि है Singularity Theorems की खोज.
ऑक्सफ़ोर्ड के प्रो० रॉजर पेनरोस और हॉकिंग दोनों ने कुछ प्रमेय सिद्ध किये थे जिनसे हमें ये पता चलता है कि ब्रह्माण्ड का जन्म एक Singularity या व्यष्टि-बीज से हुआ था. वह बीज अत्यंत सघन और गर्म था. इन प्रमेयों को Penrose-Hawking Singularity Theorems कहा जाता है.
आज हॉकिंग एक अति उन्नत कंप्यूटरीकृत चेयर पर बैठ कर सभी के चहेते बन गए हैं. करोड़ों के प्रेरणास्त्रोत हैं.
हंसमुख मिजाज़ के इस वैज्ञानिक को आइंस्टीन के समतुल्य माना जाता है और मजे की बात देखिए की इनका जन्म गैलिलियो के मरण और न्यूटन के जन्म के सटीक 300 साल बाद हुआ.
Happy birthday Stephen Hawking.